जांच की जद में आईं हत्यारों पर मेहरबानियां


अफसर क्राइम कंट्रोल का दावा कर रहे हैं, उधर पुलिस हत्यारों पर मेहरबानियां कर रही है। ऐसे तीन मामले अफसरों के संज्ञान में पहुंचे तो उनकी जांच शुरू हो गई है। इनमें से दो मामले तो ऐसे हैं, जिनमें पुलिस पहली सूचना के साथ सक्रिय हुई होती तो दो लोगों की जान बच जाती। इन मामलों में पुलिस ने लापरवाही की, हत्यारों को वक्त मिल गया और उन्होंने दोनों को कत्ल कर डाला। तीसरा मामला भी कम गंभीर नहीं है, जिसमें हत्या का आरोपी हफ्तों तक गिरफ्तार नहीं किया गया। बेखौफ अपने घर पर ही रहा और एक नई वारदात कर फिर फरार हो गया। यह मामले नोडल आईपीएस अफसर डीके ठाकुर तक भी पहुंचे हैं। लापरवाही से पुलिस की किरकिरी के बाद एसएसपी ने इनकी जांच शुरू करा दी है।


अपहरण सुना नहीं, लाश बताई नहीं


चार दिन पहले खोराबार थाना क्षेत्र के दिव्यांग उमेश यादव का अपहरण हुआ। घटना के तत्काल बाद उसके भाई ने पुलिस को सूचना दे दी। अपहरण में अपनी पत्नी, साले और उसके दोस्त की संलिप्तता भी बता दी। पहले तो पुलिस ने गौर नहीं किया। फिर ऐसी धीमी रफ्तार में पड़ताल शुरू की कि अपराधी उसकी पकड़ से बाहर निकल गए। नाकाबंदी करके पुलिस सक्रिय होती तो अपहर्ता कार और अपहृत समेत पकड़ जाते। यह सुस्ती भारी पड़ी। अपहर्ताओं ने उमेश यादव को मार डाला। अगले दिन उसकी लाश देवरिया में मिली। एक बार फिर पुलिस ने लापरवाही की मिसाल पेश की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक लाश मिलने की जानकारी खोराबार पुलिस को उसी दिन हो गई थी लेकिन परिवारीजनों को सूचना अगले दिन दी गई। इस बीच अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। यानी हत्या की सूचना के बाद अपहरण दर्ज करके पुलिस ने दामन उजला रखने की कवायद की। परिवार को लाश बरामद होने की पहली सूचना रिश्तेदार से मिली।


घर में रह रहे 'फरार ने फिर बहाया खून


गगहा क्षेत्र में पुलिस ने ऐसी ही एक और मिसाल पेश की। हत्या के मामले में जिसकी तलाश हो रही थी, वह तीन महीने से घर में ही आराम फरमा रहा था। पुलिस ने उस पर हाथ नहीं डाला और कागज पर तलाश होती रही। बेखौफ आरोपित ने गांव में ही फिर खून बहा डाला। 4 अगस्त को प्रसपा जिलाध्यक्ष श्याम नारायन पर हुए हमले में मिश्रौलिया गांव के इलेक्ट्रीशियन शिवानंद मौर्या (40) की मौत हो गई थी। इस मामले में अनिल यादव भी आरोपित हुआ। पुलिस उसे तलाश कर रही थी। उधर 31 अक्टूबर को इलाके में हुई मारपीट में 6 लोग घायल हुए। इसमें फिर अनिल यादव आरोपित हुआ। जाहिर है कि वह हत्या में वांछित होने के बावजूद गांव में रह रहा था। हालांकि मारपीट में घायल होने के बाद भी वह फरार हो गया।


चौकी में सुलह, लौटते ही गोली मारी


लापरवाही का तीसरा मामला भी गंभीर है। इसमें दो पक्षों में खून-खराबे की हद तक तनाव था। एक पक्ष चौकी पहुंचा। पुलिस ने कहा- कल दूसरे पक्ष को भी बुला कर सुलह करा देंगे। उधर घर लौटते ही शिकायत करने वाले को गोली मार दी गई। इसमें भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं। मामला रामगढ़झील थाना क्षेत्र की आजाद नगर चौकी का है। अजवनिया गांव में दीपावली के दिन महिला प्रधान के बेटे को मनबढ़ों ने गोली मार दी थी। यह घटना उस वक्त हुई जब वह चौकी से उनकी शिकायत कर घर लौटा था। अफसरों के संज्ञान में आने के बाद इस मामले की भी जांच शुरू की गई है।


बोले जिम्मेदार


दिव्यांग के अपहरण और हत्या, गगहा का मामला और प्रधानपुत्र पर फायरिंग, इन तीनों मामलों में पुलिस की लापरवाही की शिकायत हुई है। तीनों घटनाओं की जांच करा रहा हूं। जिन पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आएगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। डॉ. सुनील कुमार गुप्ता, एसएसपी